पेट में गैस बनना एक सामान्य बात है। यह आपके पाचन का जरूरी हिस्सा है और हर किसी को ये समस्या होती है। ज्यादातर लोग दिन में पांच से 15 बार गैस निकालते हैं। हालांकि अगर आपको लगता है कि आपको और लोगों के मुकाबले में इससे ज्यादा गैस बनती है तो इसके पीछे कुछ खास वजहें हो सकती हैं। यह सभी कारण आपको अपनी पेट दर्द के लिए साबित होते हुए नजर आ सकते है। बहुत बार लोगों को पेट की गैस से काफी समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसके उपाय उन्हें मूल रूप से पता नहीं होते।
इसी लिए आज के लेख में हम आपको बताएँगे की पेट की गैस से क्या क्या समस्या पैदा हो सकती है, कैसी समस्याए पैदा होती है, समश्याओ के कारण क्या है, पेट के दर्द का इलाज़ क्या है, गैस का इलाज़ क्या है, और इनके आयुर्वेदिक उपायेओं से लेकर ल्ले एक्यूप्रेशर उपायों के बारे में भी हम आपको बताएँगे।
तो चलिए शुरू करते है-
पेट में गैस क्यों बनती है?
- ज्यादा हवा अंदर ले जाना- आप जो भी गैस पास करते हैं वह किसी न किसी तरह आपकी आंतों में पहुंचती है। यह तब हो सकता है जब आप मुंह से हवा को अंदर लेते हैं। आपकी आंतों में कुछ गैस बैक्टीरिया और वहां रहने वाले और रोगाणुओं से पेट में गैस बहुत बनती है। अगर आपको बहुत ज्यादा गैस बनती है तो यह भी हो सकता है कि आपको डकार भी काफी ज्यादा आयें। ज्यादा हवा अन्दर ले जाना गैस का दर्द के लक्षण उत्पन्न कर सकता है।
- खराब आदतें- आपकी कुछ आदतों की वजह से आपके मुंह में हवा ज्यादा जाती है। जैसे कि च्यूइंग गम या कोई हार्ड कैंडी चबाते समय आप हवा को ज्यादा निगलते हैं। जल्दी-जल्दी खाने या फिर स्ट्रॉ से पीने की आदत से भी पेट में गैस बहुत बनती है। अगर आपको प्लास्टिक याकोई भी चीज चबाने की आदत है, तो इसका मतलब है कि आप अपने अन्दर सामान्य हवा के मुकाबले अलग से हवा भर रहे है जो गैस के रूप में आपके शरीर का नुक्सान करेगी। आपकी ख़राब आदतें भी गैस का दर्द के लक्षण पैदा कर सकती है।
- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स- कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसे बीयर, सोडा, या कोई भी बुलबुले वाले ड्रिंक्स पेट में गैस बनाने का काम करते हैं। अगर आपको कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पसंद हैं और आपको अक्सर गैस की समस्या रहती है तो इसके बजाय कोई सादी ड्रिंक पीकर देखें, आपको फर्क जरूर महसूस होगा। कार्बोनेटेड ड्रिंक्स गैस का दर्द के लक्षण पैदा कर सकती है। आपको पता चल जाएगा की आपके पेट दर्द की वजह यानी पेट की गैस की मूल वजह क्या है।
- खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना- पेट में गैस बनने का अन्य कारण कुछ खास फूड भी हो सकते हैं। जैसे कि छोटे राजमा, मटर, ब्रोकली या पत्तेदार साग, साबुत अनाज, और ऐसे खाने भी पत में वन जाते है जिसमे साइलियम की मात्र अधिक होती है, इसका कारण रात में भिगोये हुए राजमा हो सकते है।
- कभी कभार्र खाना नहीं पचने का मुख्या कारण डेयरी प्रोडक्ट्स भी हो सकते है जिसके कारण गैस बन जाने की अभिक्रिया शुरू हो जाती है।
- कब्ज या धीमा पाचन- अगर आपको कब्ज है और खाना आपकी आंत में धीरे-धीरे जा रहा है, तो इससे पेट में गैस बनने का ज्यादा मौका मिल जाता है। इसका मुख्या कारण पेट में खाने का लम्बे समय तक रहना हो सता है जिससे पेट में गैस बहुत बनती है, पेट में दर्द भी होने लगता है। और लॉन्ग टर्म में पाचन की प्रक्रिया भी धीमें होने लगती है। यह सभी गैस बन जाने के कारणों में शामिल है और बहुत बार आर्टिफीसियल मीठे उत्पादकों से भी गैस बनती है।
- मेडिकल कंडीशन- कुछ मेडिकल हेल्थ की वजह से भी पेट में बहुत ज्यादा गैस बनती है। जैसे कि डाइवर्टिक्युलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन्स डिजीज, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, डायबिटीज, थायराइड डिसफंक्शन या फिर इंटेस्टाइन ब्लॉकेज की वजह से।
पेट में अत्यधिक गैस होने के लक्षण:
- निरंतर गैस आना या वृद्धि होना
- बदबूदार गैस बनना
- निरंतर डकार आना
- पेट फूलना
- पेट में दर्द उत्पन्न होना
- गैस के कारण सांस की समस्या
- गैस के कारण पैर में दर्द
- गैस के कारण पीठ में दर्द
पेट की बहुत गैस कोई गंभीर समस्या उत्पन्न नहीं करती, लेकिन मेडिकल चेक-अप जल्दी होनी चाहिए और अगर रोगी में पैट गैस के साथ ये निम्न लक्षण भी दिखने लगें-
- स्टमक क्रैंप
- दस्त
- कब्ज
- मल में खून आना
- फिवर
- उल्टी और मतली
- पेट की दायें हिस्से में दर्द
यदि आपको यह सब समस्या नजर आये तो पेट गैस की टेबलेट तुरंत लेनी चाहिए, क्योंकि इन परिस्थितियों में पेट की गैस का तुरंत इलाज जरूरी है।
पूरे शरीर में गैस बनना?
यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन गैस का दर्द तब होता है जब गैस आपके शरीर के किसी हिस्से में फंस जाता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब आपका पाचन तंत्र सही तरीके से काम नहीं करता है। गैस तब शरीर में अधिक बनती है, जब व्यक्ति कब्ज या दस्त से ग्रसित होता है। गैस होने से शरीर के कुछ हिस्सों जैसे- पेट और सीने में दर्द होता है। प्रतिदिन कम से कम 8 से 10 बार गैस पास होना स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी होता है। गैस पास नहीं होती तो बड़ा दर्द होता है।
मांसपेशियों या फिर हड्डियों में गैस की वजह से दर्द बहुत ही रेयर मामलों में देखा गया है। अगर लोगों को लगता है कि उनके पैरे में गैस की वजह से दर्द हो रहा है, तो यह एक एंजायटी हो सकती है। उनका कहना है कि गैस की वजह से कमर, पीठ, बाजू, कंधे में दर्द, सिर, पैरों जैसे हिस्सों में दर्द होने की संभावना काफी कम होती है। यह एक बहुत ही दुर्लभ समस्या है, जिसे पायरोमिया कहा जाता है। इस समस्या से ग्रसित मरीजों के मसल्स काले पड़ने लगते हैं। यह बहुत गंभीर स्थिति है। आम लोग कहते हैं कि उन्हें गैस की वजह से सिर में दर्द हो रहा है या पीठ में दर्द हो रहा है, तो यह संभव नहीं है। यह आपके चलने में बड़ा अवरोध पैदा कर सकता है।
गैस मांसपेशियों में प्रवेश इतनी आसानी से नहीं कर सकता है। अगर किसी रेयर मामलों में शरीर के इन हिस्सों में गैस प्रवेश कर जाए, तो व्यक्ति की स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि उसे तुरंत डॉक्टर की निगरानी की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में अगर पसलियों में दर्द, सिर में दर्द या फिर अन्य हिस्सों में दर्द हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। इस तरह का दर्द किसी अन्य कारणों से हो सकता है।
आसानी से गैस दूर करें:
- काली मिर्च और सूखी अदरक गैस को दूर करने में करते हैं मदद-
जब आप खाना खा लेते है, तो कम से कम 1 घंटे के बाद में आपको ध्यान से एक मात्र में कालीमिर्च और सुखी अदरख जिसे सौंठ भी कहा जाता है, तथा एक चम्मच इलाइची के दानों को आधे गिलास पानी में मिलकर पिए।
गैस दूर करने के लिए -1/2 चम्मच सूखा अदरक पाउडर में एक चुटकी हींग + सेंधा नमक जोड़कर एक कप गरम पानी में डाल कर पि जाएँ।
- अजवाइन गैस की समस्या से दिलाये राहत-
पेट में ऐठन होने से एक छोटा चम्मच अजवाइन और नमक साथ में पानी में मिलाकर पिने से पेट में ठंडक मिलती है और गैस से भी थोडा छुटकारा मिलता है।
- हरड़ से गैस की समस्या से मिले आराम-
यदि आपके पेट में हवा सम्बन्धी बिमारी है तो हरद आपके लिए एक उत्तम औषधी है जिसका पाउडर आप शहद में मिलाकर चाट सकते है।
- काला नमक का सेवन गैस होने पर दिलाये राहत-
अजवायन के साथ में जीरा और छोटी हरड़ और काला नमक एक जैस्सी ही मात्रा में मिलकर उसका चूर्ण कर लें। अधेड़ उम्र वालों के लिए 2 से 6 ग्राम पानी से लें। बच्चों के लिए इसकी मात्रा का कम कम उपयोग करे।
- अदरक के सेवन से गैस से मिले राहत-
अदरक के बारीक टुकड़े कर के, नमक मिला कर दिन में 3-4 बार उसे खाएं। गैस बनेगी ही नहीं। शरीर भी स्वस्थ लगेगा। भूख भी लगेगी। इस तरीके से आप गैस को एक दम जड़ से हटा सकेंगे।
- टमाटर गैस में फायदेमंद-
खाने में सलाद के साथ काला नमक डालकर टमाटर खाएं। यह आपको काफी फायदा पहुचाएंगा।
पर आपको यह अपने संज्ञान में रखना होगा की यदि किसी को पथरी है तो वह काले नमक के साथ कच्चे टमाटर का इस्तेमाल न करें।
- गैस के समस्या में लाभकारी काली मिर्च डालकर बनी चाय-
कालीमिर्च आपकी गैस निकलने का काम भी करता है। इसकी मदद से बनी चाय पिने से आपको काफी लाभ होगा।
- गैस में फायदेमंद अदरक और नींबू-
निम्बू में थोडा नमक मिलाकर उसको अदरख की पतली पपड़ियों पर रगड़कर चूसने से अच्छा भी लगेगा और गैस से राहत भी मिलेगी।
सिर में गैस चढ़ने के लक्षण:
सिर में गैस चढ़ने के लक्षण बहुत ही भयानक हो सकते है, जैसे कि-
- मितली आना,
- सिर दर्द होना,
- उल्टी आना,
- ध्यान न लगा पाना,
- सिर की नसों में दर्द होना
- चक्कर आना
- नकसीर आना
- मुह से खून आना
- नाक से खून आना
- आँखों की रौशनी कमजोर हो जाना
- आँखों के सामने अँधेरा हो जाना
यह सारे सिर में गैस चढ़ने के लक्षण है।
आसानी से पेट की गैस दूर करें, आयुर्वेदिक उपाय:
- नींबू की शिकंजी गैस दूर करने में करे लाभकारी-
निम्बू की मीठी शिकंजी आपको इसमें काफी फायदा देगी। दो महीने तक अच्छे से सेवन करके खट्टी डकारों से निजात पा सकते है। इससे सिर में गैस चढ़ने के लक्षण भी दूर किये जा सकते है।
- लौंग का सेवन गैस में फायदेमंद-
सुभ श्याम लॉन्ग को सदेव चूसना चाहिए, केवल एक लौंग काफी है। बस इसके बाद खट्टी डकारें या गैस आपको परेशां नहीं करेंगी।
- सत्तू का सेवन गैस के प्रॉबल्म में लाभकारी-
चने का सत्तू का इस्तेमाल आप पानी में खोलकर अपने पिने के लिए करेंगे तो गैस से मुक्ति पाएंगे।
- पाचन-
पाचन कर्म द्वारा कोशिकाओं और जठरांत्र दोनों ही स्तर पर पाचन शक्ति में सुधार किया जाता है। पाचन को बढ़ावा देने वाले पदार्थ और पाचन को उत्तेजित करने वाले रस को क्लैरिफाइड मक्खन (वसायुक्त मक्खन से दूध के ठोस पदार्थ और पानी को निकालने के लिए दूध के वसा को हटाना) के साथ इस्तेमाल कर पाचन प्रक्रिया में सुधार लाया जाता है।
आमतौर पर हिंगवाष्टक चूर्ण का इस्तेमाल पाचन यौगिक के रूप में किया जाता है जो पाचन एंजाइम्स को उत्तेजित किए बिना न पचने वाले भोजन को साफ करता है।
- सेक-
ये एक प्रकार का स्वेदन (पसीना निकालने की विधि) है जिसमें व्यक्ति को विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और अकड़न, भारीपन और ठंडक से राहत दिलाने के लिए शरीर से पसीना निकाला जाता है।
वात दोष के असंतुलन के कारण हुए रोगों के इलाज में शुद्धिकरण की इस चिकित्सा की सलाह दी जाती है।
इस प्रक्रिया में वात दोष के उपचार के लिए गर्म कपड़े, धातु की वस्तु या गर्म हाथों से शरीर की सिकाई की जाती है। पेट पर तारपीन की पुल्टिस रखी जाती है। ये पेट में गैस के इलाज में विशेष तौर पर लाभकारी होती है।
- लेप-
इस प्रक्रिया में शरीर के प्रभावित हिस्से पर हर्बल पेस्ट लगाया जाता है।ये पेस्ट वात दोष को कम करने में लाभकारी होता है और अत्यधिक वात या इसके असंतुलन के कारण हो रहे दर्द से राहत दिलाता है।
दारुशतक का बना हुआ लेप जब पेट पर लेपित किया जाता है, तो पाचन तंत्र के कार्य में सुधार आजाता है। यह बहुत बार इलाज़ के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- हिंगु-
हिंगु गर्म और तीखे स्वाद वाली जड़ी बूटी है जिसमें कृमिनाशक, ऐंठन और गैस को दूर करने वाले गुण मौजूद हैं। इसका प्रयोग प्रमुख तौर पर वात दोष के इलाज में किया जाता है। हिंगु पेट फूलने, ऐंठन, गैस और दर्द जैसे लक्षणों से राहत दिलाने के लिए जानी जाती है।
इसमें मांसपेशियों को आराम देने की शक्ति होती है एवं यह नरम मांसपेशियों पर प्रभावी होती है।
इन सबसे हटकर के हाँ गैस और पेट के फूल जाने की बीमारी को लेकर के भी उसमे राहत दिलाने का काम करता है।
- अदरक-
अदरख आपकी मान्पेशियो में जकदन को कम करता है इसके आलावा भी पाचन मस्त कर देता है।
जीवाणु रोधी, फंगल रोधी और पेट फूलने की समस्या को रोकने के गुणों से युक्त अदरक का इस्तेमाल पेट की गैस से जुड़ी समस्याओं के उपचार में किया जाता है।
अदरक के सक्रिय घटक अम्लीय गतिशीलता (एसिड के प्रवाह) को बढ़ाते हैं और पाचन एवं अवशोषण को उत्तेजित करते हैं। इसके अलावा ये कब्ज और पेट फूलने की समस्या से भी राहत दिलाते हैं।
- रसोनम-
आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज के लिए अधिकतर लहसुन के तेल और गांठ का इस्तेमाल किया जाता है।
ये ऊर्जादायक, वायुनाशक, पाचक, परजीवीरोधी, कृमिनाशक और ऐंठन को दूर करने वाले घटक के रूप में कार्य करता है।जूस, अर्क, पाउडर या औषधीय तेल के रूप में रसोनम का प्रयोग कर सकते हैं।
इसमें पाचन मार्ग में एसीटेट और मीथेन गैस के उत्पादन को रोकने की क्षमता है जिससे पेट में गैस का इलाज करने में मदद मिलती है।
- जातिफल-
मसालों के परिवार से संबंधित जाति फल को बेहतरीन शामक (दर्द निवारक) के रूप में जाना जाता है।
जातिफल शरीर के उतकों में होने वाले संकुचन को रोकने का काम करता है।
जायफल का बीज मूल प्रकार से जीवाणुरोधी होता है।
और यह जातिफल भी पेट फूलने की बिमारी से निजात दिलाता है।
- जीरक-
जीरक में दीपक (भूख बढ़ाने वाले) और पाचन गुण मौजूद होते हैं। वायुनाशक, ऐंठन दूर करने और उत्तेजक कार्य के कारण जीरक पेट में गैस के इलाज में उपयोगी है।
जीरक का इस्तेमाल कई पाचन विकारों जैसे कि कोलाइटिस, पेट फूलने और दर्द से आराम पाने के लिए किया जाता है।
गैस की दावा का नाम आयुर्वेदिक:
पतंजलि ने गैस की काफी सारी दवाइया बने है, इन सभी गैस की दवा का नाम आयुर्वेदिक पद्धतियों के अनुसार रखे गए है। इनमे से पतंजलि गैस की दवा के नाम कुछ इस प्रकार है जो कि गैस की रामबाण दवा है-
- देवदारव्यादि वटी-
यह दवा पेट के गैस की रामबाण दवा पतंजलि के द्वारा बने गयीहै। देवदारव्यादि वटी को देवदार पेड़ की जड़ और छाल के तेल से तैयार किया गया है। ये औषधि गोली के रूप में उपलब्ध है और इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पेट में गैस की रामबाण दवा है।
इसे असंतुलित हुए वात और कफ दोष को शांत करने के लिए जाना जाता है। ये जठरांत्र विकारों का उत्तम उपचार है। ये मिश्रण पेट में गैस, कब्ज और कृमि (कीड़े) संक्रमण के इलाज में लाभकारी है।
- हिंगवाष्टक चूर्ण-
हिंगवाष्टक चूर्ण को शुंथि (सोंठ), मारीच (काली मिर्च), पिप्पली, अजमोद, सैंधव लवण (सेंधा नमक), जीरक और हिंगु से तैयार किया गया है। शुंथि में पाचन क्रिया को उत्तेजित करने के गुण होते हैं इसलिए ये पेट में गैस बनने से रोकने में प्रभावी है। यह भी गैस की रामबाण दवा है।
इस मिश्रण में पाचन और दीपक गुण मौजूद होते हैं जो पाचन प्रणाली से अमा (विषाक्त पदार्थ) को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस तरह हिंगवाष्टक चूर्ण से वात दोष से संबंधित पेट में गैस का इलाज किया जाता है। ये अग्निमांद्य (पाचन अग्नि को कम करना), पेट में दर्द और पेट के फूलने की दिक्कत से राहत दिलाता है।
- त्रिफला-
त्रिफला तीन जड़ी बूटियों आमलकी (आंवला), विभीतकी और हरीतकी (हरड़) का मिश्रण है। ये मिश्रण रेचक (मल क्रिया को नियंत्रित करने वाले), ऊर्जादायक और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने सम्बन्धी काम कर सकता है। और बहुत सारे रोगों में इसे प्राथमिक औषधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
पेट में गैस के इलाज के लिए दिन में दो बार त्रिफला और त्रिकटु (तीन कषाय का मिश्रण – पिप्पली, शुंथि और मारीच) का काढ़ा ले सकते हैं।
गैस के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट:
दवाइयों में एसिड काफी होता है इस के कारन उनसे गैस बन जाने की काफी संभावना है। लेकिन एक्यूप्रेशर के बारे में आज हम आपको बताते है।
एक्यूप्रेशर पॉइंट पर प्रेशर डालकर पेट की गैस का अचूक इलाज किया जा सकता है-
एक्यूप्रेशर के बारे में आप सभी ने सुना ही होगा। चलिए आपको बताते हैं कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं में यह एक्यूप्रेशर कैसे काम करता है।
- ST36 पॉइंट-
इस पॉइंट को ST36 कहा जाता है जो पेट के मेरिडियन पर स्थित होता है। यह हमारे पेट के ऊपरी अंगों और पैरासिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम से पहुंचने वाली एनर्जी का पाथवे होता है।
- कहां होता है यह पॉइंट:
तकरीबन घुटने के तीन इंच निचे यह पॉइंट पाया जा सकता है। तथा यह बाहरी और उभरा हुआ दिख सकता है।
- कैसे करें इसकी मसाज:
अपनी दो उंगलियों को इस पॉइंट पर रखें। इन उंगलियों को धीमे लेकिन मजबूत हाथों से गोल-गोल घुमाएं और इस पॉइंट पर मसाज करें। करीब 2 से 3 मिनट तक दोनों ही पैरों पर ठीक इसी पॉइंट की जगह पर मसाज करें।
- SP6 पॉइंट-
स्प्लीन मेरिडियन पर यह पॉइंट होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम के साथ जुदा होता है जो शरीर को कण्ट्रोल करने में मदद करता है।
- कहां होता है या पॉइंट:
यदि आप अपने टखने के तकरीबन 3 इंच ऊपर देखेंगे तो आपको बहार की और यह मिल जायेगा जो की बिलकुल हड्डी पर होता है।
- कैसे करें इसकी मसाज:
आपको सबसे पहले अपनी कुछ दो फिंगर्स को मुख्य पॉइंट पर रखना है और मजबूती से से गोल-गोल घुमाते हुए दबाव डालना है। और मसाज करनी है। दोनों पैरों पर बारी बारी से करीब 2 से 3 मिनट तक मसाज करना है।
- CV6 पॉइंट-
वेसल मेरिडियन पर यह होता है और निचले पेट के अंगों में उर्जा का बहाव करता है।
- कहां होता है यह पॉइंट:
हमारी नाभि के डेढ़ इंच निचे हमें इस पोइं की अनुभूति हो सकती है, और यह बिलकुल वाही मौजूद भी होता है।
- कैसे करें इसकी मसाज:
उस मेन पॉइंट पर अपनी तीन उंगलियों को रखकर के हल्का दबाव डालकर उंगलियों को गोल घूमाते हुए आपको मसाज करना है, साथमें यह भी ध्यान दे कि ज्यादा दबाव ना डालें
- CV12 पॉइंट-
वेसल मेरिडियन का एक हिस्सा यह पॉइंट भी हिस्सा होता है और इसकी जिम्मेदारी ऊपरी पेट के अंगों जैसे गॉलब्लैडर और यूरिन ब्लैडर, में भी उर्जाका संचार करने के लिए होता है।
- कहां स्थित होता है यह पॉइंट:
यह 4 इंच ऊपर यह नाभि के ऊपर उपस्थित होता है।
- कैसे करें इसकी मसाज:
अपनी कुछ उंगलियों अपने मुख्या पॉइंट पर रखकर के गोल घुमाएं और हल्के हाथों मसाज करते हुए ध्यान रखें कि करीब 2 से 3 मिनट तक मसाज करनी है।
- BL21 पॉइंट-
यह पॉइंट हमारे पेट दर्द के रोग में मददगार होता है।
- कहां स्थित होता है या पॉइंट:
हमारी ऊपरी पीठ के तकरीबन 6 इंच ऊपर यह पॉइंट मौजूद होता है, हम हमारी रीढ़ की हड्डी में इसे महसूस कर सकते है।
- कैसे करें इसकी मसाज:
आपको दो उंगलियों को अपने मुख्या पॉइंट रखकर गोल घुमाना है और गोल घुमाते हुए मसाज करना है। और 1 से 2 मिनट तक करना है। अगर आपको स्लिप डिस्क स्पाइन में समस्या है तो मसाज ना करें।
छाती में गैस के लक्षण:
छाती में गैस के लक्षण काफी प्रकार से देखे जा सकते है, और छाती में गैस फ़ूड पोइजनिंग के कारण भी हो सकती है। यह कुछ सीने में गैस के लक्षण है-
- छाती में दर्द उत्पन्न होना
- दर्द के साथ साथ मांसपेशियों में खिंचाव होना
- उलटी दस्त होना
- छाती को फेलाने और सिकोड़ने में दर्द होना
- दिल में दर्द होना
- चलने में दिक्कत होना
- सोने में दर्द होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
पेट में गैस बनती है तो क्या खाना चाहिए?
पेट में गैस बनने वाली चीजों के नाम कुछ इस प्रकार है-
- कटहल-
इस की सब्जी बहुत मस्त होती है। और जायका भी गजब होता है। यह मूल रूप से शाकाहारी लोगों का मांसाहार माना जाता है, क्योंकि यह सब्जी बनने के बाद देखने में नॉनवेज जैसा होता है।
कटहल पोषण से भरपूर होता है। लेकिन जिन लोगों को गैस बनने की समस्या होती है, उन्हें कटहल की सब्जी खाने से बचना चाहिए। क्योंकि कटहल बादी प्रकृति का माना जाता है। यानी शरीर में गैस बनने की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है।
- अरबी-
यह’ एक बहुत ही अच्छी और स्वाद सब्जी है। अलग-अलग जगहों में इसे अलग तरीकों से बनाकर परोसा जाता है। लेकिन यह सब्जी आपके पेट में गैस बनती है। और इसका कारण इसका मूल स्वभाव होता है जो कि वायु वर्धक होती है।
वे लोग जिन्हें पेट में बहुत ज्यादा गैस बनती है और फिर उसे काफी तकलीफ होती है उन्हें अरबी की सब्जी कम खानी चाहिए। लेकिन यदि कभी अरबी की सब्जी का सेवन करें तो अजवाइन का इस्तेमाल करना ना भूलें, क्योंकि इससे शरीर में गैस कम बनेगी। और शायद पेट दर्द भी ना हो।
- मूली-
वैसे तो यह फल रुपी सब्जी सिर्फ सर्दियों में ज्यादा आती है, स्वाद की वजह से बढ़िया भी लगती है। लेकिन आजकल बहुत से जगह इन्हें स्टोर करके रखा जाता है।
हम आपको कभी स्टोर्ड फल और सब्जियां खाने की सलाह नहीं देते हैं। जिन लोगों गैस बनने की समस्या होती है, उन्हें ऑफ सीजन में तो मूली खाने से पूरी तरह बचना चाहिए। सर्दियों में आपको मूलिऊ किसी भी परिपेक्ष में सीमित मात्र में खानी चाहिए और मूली के पराठे खाने के बाद आपको जरूर से अजवाइन का सेवन करना है आप चाहे तो पुदीना की 4 से 5 पत्तियां काले नमक के साथ खाएं। इससे आपको गैस से मुक्ति मिलेगी साथ ही मूली जल्दी डायजेस्ट भी होगी।
- छोले-
यह स्वादिष्ट खाना बहुत से लोगों को पसंद होता है। लेकिन यह गैस की दिक्कतों को भी पैदा कर देता है। छोले अकसर जो भी लोग खाते है, उन लोगों को जिनका पाचनतंत्र धीमा रहता है। और जिन लोगो को अपने पाचन तंत्र में दिक्कत होती है उन्हें राजमा चावल या फिर छोले पूड़ी का सेवन नहीं करना चाहिए इन सभी भारी खाने से दूर रहना चाहिए।
- चना-
भारत में सबसे ज्यादा चना अंकुरित (स्प्राउट्स) के रूप में खाया जाता है। अगर आपको गैस बनने की समस्या है तो आप चने का अंकुरित खाने की जगह मूंग का अंकुरित अधिक उपयोग में लाएं।
- राजमा
राजमा चावल, एक ऐसा भोजन जिसका पूरा हिंदुस्तान दीवाना है। लेकिन जिन लोगों को पेट में गैस बनने की समस्या होती है, उन्हें राजमा-चावलखाने में अपने स्वाद पर थोड़ा संयम रखना चाहिए। क्योंकि राजमा शरीर में वायु बढ़ाने का काम करता है। इससे पेट में गैस बनने की समस्या, शरीर में भारीपन जैसी समस्या हो सकती है।
- फूलगोभी और शिमला मिर्च-
फूलगोभी और शिमला मिर्च से बहुत ज्यादा गैस भी बनती है और आसानी से पचती भी नहीं हैं। यदि आपके पेट में ज्यादा गैस बनती है तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है।
खाना खाने के बाद पेट में गैस बनना दूर करे:
गर्म चीजें या तला-भुना फूड ज्यादा खाने से गैस की समस्या हो सकती है। इसलिए, गैस और पेट की बिमारियों से बचाव के लिए खान-पान में बदलाव जरूरी है।
- खीरा-
पेट और दिमाग ठंडा रखने के लिए खीरा खाया जाता है। खीरा पेट की गैस का अचूक इलाज कर सकती है। इसके पानी की भरपूर मात्रा शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। गर्मियों में यह सबसे अच्छी दवाई है। इससे गर्मी में डिहाइड्रेशन नहीं होती है। एसिड रिफ्लैक्स भी कम हो जाता है।
- ठंडा दूध-
दूध पीने से हड्डियां तो मजबूत होती ही हैं। दूध पेट दर्द और गैस की दावा के रूप में काम करता है। साथ ही ये पेट की बिमारियों को भी दूर रखता है। सुबह-सुबह एक गिलास ठंडा दूध पीने से पेट में जलन नहीं होती है। यह भूख को भी कंट्रोल करता है। इससे एसिडिटी और गैस्ट्रिक की समस्या दूर होती है।
- नारियल पानी-
जिन लोगों को सुबह-सुबह चाय या कॉफी पीने से पेट फूल जाता है और गैस की समस्या होने लगती है, ऐसे लोगों को नारियल पानी का सेवन करना चाहिए। ये फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो शरीर के पाचन को सही रखता और इसका फाइबर पेट दर्द और गैस की दावा के रूप में काम करता है। इसके अलावा नारियल पानी पीने से एसिडिटी की समस्या भी नहीं होती है।
- तरबूज-
यह पानी का फल गर्मियों का अमृत होता है, ये फल हमारे शरीर में पानी की कमी को पूरा कर देता है। थोडा सा तरबूज खाने से पेट भरा हुआ लगता है और गैस बिलकुल नहीं बनती। तरबूज में अच्छा खास्सा फाइबर होता है जो पेट के पाचन को बढाता है। खाना यदि एक बार सही से पच जाता है तो पेट में गैस नहीं बनती है।
- केला-
केला बहुत हेल्दी होता है, कैल्शियम और आयरन इसमें अधिक होती है। इससे पेट में गैस नहीं बनती है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स और पोटैशियम से भरपूर होता है जो एसिड रिफ्लैक्स को कम करता है। इसके अलावा केला पेट की लाइनिंग पर म्यूकस पैदा करता है जिससे पी ऐछ का स्तर कम हो जाता है। केला एसिडिटी को कंट्रोल करता है।
कुछ ध्यान रखने योग्य बातें:
- जहां तक संभव हो बाहर के खाने से बचें।
- धूम्रपान न करें।
- खाने को धीरे धीरे खाएं।
- जितनी भूख हो उससे एक रोटी कम ही खाएं।
- तली हुई चीजों से दूर रहें।
- तीखी व मसालेदार चीजों से परहेज करें।
- ज्यादा देर तक भूखे न रहें।
- हमेशा योग और प्राणायाम करते रहे।
कब करें डॉक्टर से संपर्क:
बहुत बार गैस बनना एक शर्मिंदगी हो सकती है लेकिन यह आम बात है। पर यदि आपका शरीर स्वस्थ नहीं है तो गैस समस्या भी बन सकती है। जैसे कि पेट में तेज दर्द होना, काफी बेचैनी होना या सूजन होना, शौच में खून आजाना जैसे लक्षण, यह सब होने पर आपको जल्दी ही डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए क्योंकि पेट की गैस का तुरंत इलाज जरूरी है। और डॉक्टर यदि पेट गैस की टेबलेट दे तो उसे नियमित तौर पर लेना चाहिए।
यह समस्या हमेशा पेट से जुड़ी जुडी हो, यह जरूरी नहीं है, कई बार दुसरे कारणों से भी यह समस्या मरीज को हो सकती है, लेकिन वह वायु गैस नहीं होती है जिसे गैस ही समझा जाता है। पेप्टिक अल्सर, गॉल ब्लाडर स्टोन, भोजन की थैली में कैंसर, पैंक्रियाज की बीमारी, आंत की बीमारी, हार्ट और न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। यदि तकलीफ छह सप्ताह से अधिक है तो उसकी जांच और विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। जिससे पता चल जाए कि पेट की बीमारी है या फिर कोई अन्य। इसके अलावा भूख की कमी, वजन घटना, उल्टी, बुखार, शौच का रंग काला या लाल हो तो तुरंत जांच करा लेनी चाहिए। यह गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष:
तो आज के लेख में हमने जाना कि पेट की गैस को जड़ से ख़त्म करने के उपाय कौनसे है, और पेट दर्द किन किन कारणों से होता है, और इस दर्द व गैस को दूर करने के उपाय कौन कौनसे है।
हम आशा करते है कि आप इन सभी जानकारियों को सही से समझ पाए होंगे।
धन्यवाद।
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